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सभी भक्तों की जै 🌹🌹🌹
मेरा गांव अयोध्या के समीप ही है। बहुत पहले टेलीविजन पर यूट्यूब में एक भौगोलिक प्रस्तुति में हमको यह पहली बार पता चला कि सरयू जी "ट्रांस हिमालयन" है, अर्थात सरयू नदी का उद्गम स्थल हिमालय के उस पार मानसरोवर के निकट से है। जबकि प्रायः अन्य नदिया जो उत्तरी भारत में बहती है, ब्रह्मपुत्र को छोड़कर के उन सभी का उद्गम स्थल हिमालय ही है । तो यह बात जान करके हमें अपार खुशी हुई की सरयू जी का संबंध आध्यात्मिक और भौगोलिक रूप से मानसरोवर और कैलाश से है अर्थात जिस जल में हम स्नान कर रहे, दर्शन हो रहा है उसमें मानसरोवर जल के भी अंश विद्यमान है । अर्थात जो सरजू जी में स्नान कर रहा है वह भक्त एक प्रकार से मानसरोवर से भी स्पर्श स्नान पा रहा है।
तो जिस प्रकार श्री राम जी की महिमा है, अयोध्या जी की महिमा है, तो उसे महिमा में एक महिमा यह भी जुड़ गया कि अयोध्या के तट से बहती हुई सरयू जी यदि शिव जी के आधार में स्थित मानसरोवर के अंश से उदगमित है। इस बात को मैं अपने भक्त मित्रों में चर्चा भी किया। हो सकता है उनमें से कई स्वजन इस बात को पूर्व से जानते भी रहे होंगे।
इस प्रकरण का सबसे अनूठा पहलू यह है कि मैं रामायण का पारायण कई बार किया अक्सर ही क्रमशः रामायण पढ़ता रहता हूं तो इस बार के पारायण में यह प्रस्तुत चौपाई के पाठ से हमको जो मिला वह तो बिल्कुल स्पष्ट प्रदर्शित करती है की सरयू जी मानसरोवर पुत्री ही है ।जबकि इस पर हमारा ध्यान कभी पहले नहीं गया था। तो इस सावन के महीने में कैलाश , कैलाशवासी, मानसरोवर को नमन साथ ही साथ प्रत्यक्ष सहज दर्शन मज्जन में सुलभ मानसरोवर पुत्री सरयू जी को नमन करते हुए यह चौपाई अर्पित है।
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