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-"तुम मेरे इतने क़रीब मत आओ , मैं तुम्हें बेसमेंट में बुला लूँगा"
-"मैं बेसमेंट में आना चाहता हूँ सर"

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आजादी से आज तक किसी सदन में ब्राह्मणों के उत्पीडन पर कभी चर्चा नही हुई आखिर क्यों ???
आज के समय की माँग है 👉ब्राह्मण राजनैतिक विंग

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Mehrangarh Fort, Jodhpur (Rajasthan, India)

Mehrangarh is a historic fort located in Jodhpur, Rajasthan, India. It stands on a hilltop, rising about 122 m (400 ft) above the surrounding plains, and the complex spans 1,200 acres (486 hectares). It was initially built around 1459 by the Rajput ruler of Rathore clan Rao Jodha, though most of the existing structure is from the 17th century built by his successors. The fort has seven gates, which includes main entrance Jai Pol (meaning 'victory gate', built by Maharaja Man Singh to commemorate his victories over the Jaipur and Bikaner armies in 1806. The Fattehpol (lit. 'victory gate', commemorates victory of Maharaja Ajit Singh over the Mughals.

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वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के वंशज कुँवर लक्ष्यराज सिंह मेवाड़

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मैने क्षत्रियों का दिल देखा है ।
देश के लिए सब कुछ बलिदान कर दिया करते थे हुकुम 🙏

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यह तस्वीर 1928 के एम्स्टर्डम ओलंपिक में हॉकी स्टिक लेकर चलते हुए ध्यानचंद की है।
उस समय कोई ब्रांड एंडोर्समेंट नहीं था, कोई मीडिया हाइप नहीं था, कोई रिची रिच फील नहीं था, कोई प्रमोशन नहीं था।शुद्ध भावनाएं और मासूमियत।
#india #history #paris #hockey

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मनु भाकर के बगल मे बैठे इस अंजान शख्स का नाम है जसपाल राणा। 2020 टोक्यो ओलंपिक में जब मनु मेडल जीतने में नाकाम रह गई,तो खेल से जुड़े लोगो ने राणा के कोचिंग मैथड पर सवाल उठाए, इसके बाद मनु और कोच के बीच मनमुटाव इतना बढ़ा कि राणा ने खुद को मनु से अलग कर लिया। तीन साल के दौरान मनु मेंटली इतना टूट चुकी थी कि वो खेल छोड़ने के बारे में सोचने लगी। तीन साल बाद भगवत गीता में लिखी बातो ने मनु को दुबारा हौंसला दिया तो उन्होंने अपने पुराने कोच को फोन किया और जसपाल भी सब भूल कर मनु के साथ मेहनत में लग गए। जसपाल की आलोचना उनके जिस अजीब मेथड के लिए की जाती थी वो ये था कि वो हर खेल से पहले एक टारगेट सेट करते है अपने प्लेयर्स के लिए, और प्लेयर उस टारगेट से जितने प्वाइंट दूर रह जाते है, उसकी सौ गुना रकम उसे दान करनी पड़ती है। कई लोगो को जसपाल का ये तरीका नापसंद था, इसलिए जब टोक्यो ओलंपिक में मनु हारी तो उसके बाद जसपाल को कही नौकरी नहीं मिली। जसपाल अभी भी बेरोजगार है, और उम्मीद कर रहे है कि शायद भारत लौटने पर उन्हे कोई नौकरी का ऑफर मिल जाए। जसपाल ने कोचिंग का तरीका नही बदला है, पर इसी तरीके से वो पिछले ओलंपिक के विलेन थे, और इस ओलंपिक में हीरो। क्युकी ये दुनिया सिर्फ नतीजे देखती है, नियत नही।इसलिए आप जो कर रहे है,अगर नियत साफ है तो नतीजा जो भी आए बस चुपचाप करते रहिए, एक न एक दिन गाली देने वालो को ताली बजाने पर मजबूर होना ही पड़ेगा।

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