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नीतीश कुमार जी की अगुवाई वाली दलित विरोधियों की गठबंधन की सरकार के शासन में दलितों के दमन की ये कोई पहली घटना नहीं है, दलित उत्पीड़न पर जीरो टॉलरेंस की खोखली बातें करने वालों के शासन में इसी वर्ष दर्जनों ऐसी ही अन्य घटनाओं को बेख़ौफ़ हो कर उपद्रवियों के द्वारा अंजाम दिया गया है .. दलित महिलाओं - युवतियों - छोटी उम्र की लड़कियों के साथ बलात्कार की कई घटनाएं हाल के महीनों में ही हुई हैं, दलितों के घरों में घुस कर हथियार के बल पर युवतियों व् कम उम्र की लड़कियों को जबरन उठाया गया है और उनकी हत्या हुई है , हाल ही के महीनों में दलितों की जमीन पर कब्ज़ा करने की मंशा से दलितों के साथ मार - पीट व् बल - प्रयोग की कई वारदातें भी हुई हैं.. आर्थिक - सामाजिक सर्वेक्षणों से पता चलता है कि बिहार की वर्त्तमान सरकार के कार्यकाल में दलितों की स्थिति में निरंतर ह्रास हो रहा है और दलित उत्पीड़न के मामलों में वृद्धि हुई है ..
दलित उत्पीड़न पर सिर्फ दिखाऊ बयानबाजी करने वाले एनडीए गठबंधन की नीति और नीयत हमेशा से दलित विरोधी ही रही है और बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर जी की समतामूलक समाज व् शासन की अवधारणा बिहार के साथ - साथ एनडीए शासित तमाम राज्यों में तार - तार ही हुई है..