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🙏🙏जय सियाराम जी🙏🙏
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को साहिब सेवकहि नेवाजी।
आपु समाज साज सब साजी॥
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निज करतूति न समुझिअ सपनें।
सेवक सकुच सोचु उर अपनें॥
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भावार्थ:-भरत जी कहते हैं कि ऐसा सेवक पर कृपा करने वाला स्वामी कौन है, जो आप ही सेवक का सारा साज-सामान सज दे अर्थात उसकी सारी आवश्यकताओं को पूर्ण कर दे और स्वप्न में भी अपनी कोई करनी न समझकर (अर्थात मैंने सेवक के लिए कुछ किया है, ऐसा न जानकर) उलटा सेवक को संकोच होगा, इसका सोच अपने हृदय में रखे ।
वेश्यालय यानी कोठा जहां मजबूर औरतों की इज्जत को नोचने चबाने जाते है शहर के इज्जतदार लोग। ऐसे ही एक कोठे से है बॉलीवुड के सबसे इज्जतदार खानदान की बहु। 8 जुलाई को नीतू कपूर का जन्म हुआ। आज उनके जन्मदिन पर यह उनकी जिंदगी की कहानी।
नीतू कपूर की नानी और मां कोठे में रहती थी नीतू की नानी को उनके माता पिता की मौत के बाद चाचा चाची ने कोठे पर बेचा। वे उस वक्त महज 10 साल की थी। इसी कोठे पर नर्क से बदतर जिंदगी जीते हुए उन्होंने एक बेटी को जन्म दिया जिसका नाम राजी था। जब राजी 14 साल की हुई तो उनसे भी वेश्यावृति कराई जाने लगी। एक रोज राजी वहां से भागकर दिल्ली पहुंची और एक मिल में काम करने लगी। यही एक लड़के दर्शन से उन्हें प्यार हुआ और दोनों ने शादी की। दोनों की एक बेटी हुई जिसका नाम हरनीत कौर रखा गया। बेटी महज 5 साल की थी की पिता का साया सिर से उठा। पेट पालने के लिए मां बेटी मुंबई आई और फिल्म सिटी में किस्मत आजमाने लगी। मां को तो काम नही मिला मगर बेटी एक सफल चाइल्ड आर्टिस्ट बनी। 3 सालों का ब्रेक लेकर जब इस बच्ची ने वापस फिल्मी पारी शुरू की तो वे एक बेहतरीन सुपरस्टार बनकर सामने आई। ऋषि कपूर के साथ उनकी जोड़ी खासा पसंद की जाती थी। 21 साल की उम्र में फिल्मी करियर को बाय बोलकर नीतू सिंह ने ऋषि कपूर से शादी की और एक हाउस वाइफ बन गई। बच्चों के बड़े होने के बाद नीतू कपूर ने एक बार फिर से 2009 में अपना फिल्मी सफर शुरू किया। लेकिन ऋषि कपूर की बीमारी और उनके गुजर जाने से वे बेहद डिप्रेस हो गई। हालाकि जल्दी ही वे इस सदमे से बाहर आई और वापस एक नॉर्मल जिंदगी जी रही हैं।
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कंगना रनौत मंडी से सांसद हैं, उन्होंने कांग्रेस के विक्रमादित्य सिंह को 70 हज़ार वोटों से ज़्यादा के अंतर से शिकस्त दी थी।
अब कंगना रनौत ने कहा है कि
"जो भी उनसे मिलना चाहता है वह अपना आधारकार्ड लेकर आए।"
इसपर विक्रमादित्य सिंह ने ऐलान किया है कि
"जो भी उनसे मिलना चाहता है उसे किसी भी कार्ड की ज़रूरत नहीं है, प्रदेश के किसी भी कोने से कोई भी उनसे मिल सकता है।"
यह एक जननेता और नेता में अंतर होता है।
कंगना रनौत मंडी से सांसद हैं, उन्होंने कांग्रेस के विक्रमादित्य सिंह को 70 हज़ार वोटों से ज़्यादा के अंतर से शिकस्त दी थी।
अब कंगना रनौत ने कहा है कि
"जो भी उनसे मिलना चाहता है वह अपना आधारकार्ड लेकर आए।"
इसपर विक्रमादित्य सिंह ने ऐलान किया है कि
"जो भी उनसे मिलना चाहता है उसे किसी भी कार्ड की ज़रूरत नहीं है, प्रदेश के किसी भी कोने से कोई भी उनसे मिल सकता है।"
यह एक जननेता और नेता में अंतर होता है।