विद्याशंकर मंदिर, चिकमंगलूर, कर्नाटक, भारत
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इस मंदिर में बारह महीने के हिसाब से बारह खंबें बनाएं गए है जिन पर सुबह के समय सूरज की किरणें पड़ती हैं लेकिन अचरज की बात ये है कि हिंदू वर्ष के अनुसार जो महीना चल रहा होता है उसी नंबर के ख़ंबे पर सूर्य की किरण पड़ती है और महीना बदलते ही उससे अगले वाले ख़ंबे पर अगले एक महीने तक सूर्य की किरण पड़ती है। फिर अगले खंबे पर ऐसा ही होता है।
ऐसी अनोख़ी इंजिनियरिंग का प्रयोग करने वाले हमारे पूर्वजों के बारे में हमें कभी कुछ नहीं बताया गया और न ही कहीं कुछ पढ़ाया गया बल्कि जो हमारे देश को लूटने आए थे और जिन्होने हमें गुलाम बनाया, हमारे संस्कृतियों और धरोहरों को नष्ट किया उनकी महानता के बारे में हमें बताया और पढ़ाया जाता है। यह कैसी विडंबना है ? इसको चाटुकारिता कहे, तुष्टिकरण कहे या मानसिक गुलामी ?
धन्यवाद।