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आज बहुत दिनों बाद सामाजिक विषय पर लिख रहा हूँ. आज का विषय है : अग्नि पथ.
क्या है अग्नि पथ और क्यों एक गलतफ़हमी समाज में फैलाई जा रही है. क्यों इस सरकार की एक शानदार योजना को सवालों के घेरों में लाया जा रहा है.
अग्निपथ फ़ौज़ में भर्ती होने की नई प्रक्रिया है, जिसके तहत अगले डेढ़ साल में 10 लाख नावजवानों को 4 साल के लिए भर्ती किया जायेगा, जिनमे से लगभग 20-25% युवाओं को सेना में पूर्ण कालिक सेवा के लिए चुना जायेगा और बाकी को सेवा निवृत किया जायेगा.
इसमें कुछ पूर्व सैनिकों सहित सरकार से हमेशा असहमति रखने वालों का तर्क है कि इन सेवा निवृत अग्नि वीरों का भविष्य क्या होगा?
अभी भारतीय सेना की भर्ती प्रक्रिया के अनुसार 18-21 या 23 साल की उम्र तक सेना में भर्ती की जाती है. 1000 भर्ती के लिए लाखों नवजवाँ पसीना बहाते हैं. 3-4 साल तक कोशिश में लगे रहते हैं, इस बीच उनका पूरा फोकस भर्ती पर रहता है, अंत में उम्र निकल जाने के बाद जो असफल अभ्यर्थी होते हैं उनका क्या होता है? क्या वे गुंडे मवाली बन जाते हैं? शायद नहीं? अब इन असफल अभ्यर्थियों और सेवा निवृत अग्नि बीरों में क्या अंतर है?
अग्नि बीर 17 साल की उम्र में भर्ती होंगे, उन्हें 6 महीने का कुशल सैन्य प्रशिक्षण दिया जायेगा. 17-21 यानी 4 साल तक इन्हें अपने आपको सेना की पूर्ण कालिक सेवा के लिए योग्य बनने का मौका होगा, (जो ये वैसे भी कर रहे होते). अब अगर वे खुशकिश्मत रहे तो ठीक, वरना 21 साल का एक मानसिक तौर पर सुध्रीढ़ युवा बाहर निकलेगा, जिसे अगले 4 साल अन्य सरकारी सेवाओं या police या पैरामिलिट्री सेवाओं में जाने का सुनहरी अवसर होगा. लेकिन अब फ़र्क यह होगा कि पिछली प्रक्रिया में उसके हाथ खाली रहते थे, अब उसके पास कुछ धन राशि होगी. कैसे?
इन 4 सालों में उसे जो सूविधायें मिलेगी वह एक तरफ हैं परंतु हर महीने ₹30,000/- का भुगतान भी होगा. अगर देहाती इलाके का नवजवाँ 10,000/- अपने परिवार को खर्च के लिए भेजता है (जो पहले परिवार की आय पर निर्भर था) और 5000/- अपने ऊपर खर्च करता भी है, तो भी हर महीने 15,000/- यानी सालाना 1 लाख 80 हजार और 4 साल में लगभग 7 लाख जमा कर सकता है. इस रकम से वह चाहे तो कोई ब्यापार कर सकता है, सरकारी नौकरी की अच्छे से तैयारी कर सकता है, या कोई तकनीकी शिक्षा ग्रहण कर सकता है. हाँ जैसे कुछ एक्सपर्ट या विकृत मानसिकता के लोगों की आशंका है, गुंडा मवाली, नक्सली या आतंकवादी बनने का अवसर हर किसी के पास हमेशा रहता है.
किसी भी योजना को आधे भरे गिलास या आधा खाली गिलास के रूप में देखना अपनी अपनी समझ है. जय हिंद.

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