रेलवे का नुकसान आपका अपना नुकसान है. इन्हीं ट्रेनों में बैठकर आप भर्ती देखने जाते रहे हैं न! फिर क्यों जला रहे हैं इन्हें?
अब ट्रेन फूंकने से कुछ नहीं होगा. जब सब कुछ धीरे धीरे बर्बाद किया जा रहा था तब तो आप धर्म का चीलम फूंककर अब्दुल को टाइट कर रहे थे!
प्रदर्शन, आंदोलन यथासम्भव अहिंसक हों तभी उनके सफल होने की गुंजाइश रहती है. यह कुछ महीने पहले किसान दिखा भी चुके हैं.
ट्रेन फूंकने, बस जलाने और तोड़फोड़ करने से ज्यादा बेहतर है कि अपने-अपने सांसद और विधायक के घर के सामने तिरंगा लेकर बैठिए और उनके ऊपर दबाव बनाइये.
#saynotoviolence

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