Congratulations ❤️❤️❤️❤️❤️
जिया हो ग़ाज़ीपुर के लाला, जिया तुम हज़ार साला..
निरहुवा की आज़मगढ़ से जीत वाक़ई अद्भुत है. आज़म गढ़ सीट एक तरह से मुलायम एंड अखिलेश की ख़ानदानी सीट हो गई थी पूर्वांचल में. वजह यह कि एक तो मुस्लिम वोट प्लस ह्यूज यादव वोट. अखिलेश यादव अपनी व्यक्तिगत जीती सीट पर अपने भाई को न जिता पाए. वहीं बसपा से गुड्डू जमाली को बहुत शानदार वोट मिले. आज़मगढ़ चुनाव से एक बात एकदम साफ़ है १) किसी विकल्प के अभाव में मुस्लिम सपा को वोट देता है २) यदि कोई मुस्लिम बिरादरी का ताकतवर उम्मीदवार दूसरे दल से खड़ा हो (भाजपा के अलावा) तो मुस्लिम अंततः वोट अपनी बिरादरी भाई को ही देंगे ३) अखिलेश यादव ख़तना भी करवा लें तो भी मुस्लिम वोट उनका लॉयल / उनकी जागीर नहीं बनेगा.
आज़म गढ़ में मज़बूत बसपा मुस्लिम प्रत्याशी था, मुस्लिम वोट बसपा में गया. सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव बस अपनी बिरादरी के वोट भर पाते दिखे.
रामपुर चुनाव में साफ़ दिखा मुस्लिम बिरादरी हतोत्साहित है. जोगी बाबा के बुलडोज़र ने उनके दिलो दिमाग़ तक को हतोत्साहित कर रखा है. वन आन वन की फ़ाइट में जिसके कम वोट पड़े उसकी हार हुई.
ओवेराल आज़म गढ़ में निरहुआ की जीत और धर्मेंद्र यादव की हार ने भाजपा को 2024 का रोड मैप दे दिया है कि कैसे सपा की अभेद्य सीट भी जीती जा सकती है.