टीवी बहस में एक राष्ट्रवादी पत्रकार बक रहे थे, #जनसंख्या_नियंत्रण_कानून को "बहुसंख्य बनाम अल्पसंख्यक" नहीं बनाना चाहिए। क्यों नहीं बनाना चाहिए भाई? जब #बजटीय_प्रावधान और #आरक्षण इस आधार पर तय हो सकते हैं तो जनसंख्या कानून क्यों नहीं?
यह कौन सा #उदारवाद है? कौन सी #बौद्धिकता है?