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यह शर्म की बात है कि पूरी दुनिया जनरल जॉर्ज पैटन और इरविन रोमेल के बारे में जानती है, लेकिन असाधारण क्षमता वाले भारत के जनरल सगत सिंह राठौड़ को नहीं; वह लेफ्टिनेंट जनरल जो कभी एक युद्ध नहीं हारे व विश्व में भारत देश को महान सैन्य ताकतों वाले देश में शुमार किया।
इस से ज़्यादा दुख कि बात है कि भारतीय सेना तक के कोर्स में आज़ाद भारत के महानतम फौजी जनरल का नाम नही है। 4 लड़ाइयों के विजेता और बांग्लादेश के असल निर्माता को परम वीर चक्र तक से सम्मानित नही किया गया।
उन्होंने गोवा को आजाद कराया, ढाका पर विजय प्राप्त करके बांग्लादेश को आज़ाद कराया, चीन को हराया और पूर्वोत्तर विद्रोहियों को समाप्त किया, क्या यह भारत की अंतराष्ट्रीय सैन्य ताकतों में शुमार करना नहीं था ?
भारत-चीन युद्ध 1962 की हार के पांच साल बाद ही 1967 में हुई जंग में भारत जीता था और जीत के हीरो रहे थे राजस्थान के लेफ्टिनेंट जनरल सगत सिंह राठौड़।
उन्हें केवल गुमनामी में भेजा गया। ऐसे निष्कृष्ट राजनीति वाले देश में आपके राष्ट्रवाद का परिणाम देखिए क्यूंकि सामने वाला क्षत्रिय था और कुछ चंद लोगों को इसका श्रेय लेना था। समय आने पर उनका प्रमोशन तक रोक दिया गया और उनके जूनियर अफसर को उनकी जगह प्रमोट कर दिया गया।
जनरल सगत सिंह राठौड़ को उनके 103 वे जन्मदिवस पर अनेकानेक शुभकामनाएं।

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