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22 जुलाई 1947: संविधान सभा, जवाहरलाल नेहरू और राष्‍ट्रध्‍वज... 4 तस्‍वीरों में तिरंगे की पूरी कहानी
नई दिल्‍ली: देश की आन, बान और शान के प्रतीक- राष्‍ट्रध्‍वज को आज से ठीक 75 साल पहले अपनाया गया था। आज हमारा तिरंगा जैसा दिखता है, उसी रूप को संविधान सभा ने 22 जुलाई 1947 को राष्‍ट्रध्‍वज के रूप में मान्‍यता दी। राष्ट्रीय ध्वज अंगीकरण दिवस (National Flag Adoption Day) पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ ऐतिहासिक दस्‍तावेज साझा किए हैं। इन दस्‍तावेजों में तिरंगे के राष्‍ट्रध्‍वज बनने की कहानी है। संविधान सभा ने जिस स्‍वरूप में तिरंगे को अंगीकार किया था, उसका ब्‍योरा है। मोदी ने यह भी बताया है कि स्‍वतंत्र भारत का पहला राष्‍ट्रध्‍वज प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने फहराया था। पहला राष्‍ट्रध्‍वज आज की तारीख में नई दिल्‍ली के आर्मी बैटल ऑनर्स मेस के पास है। पीएम ने 1930 में प्रकाशित 'शहीद गर्जना' की एक प्रति भी साझा की। आज जो हम गुनगुनाते हैं, 'विजयी विश्‍व तिरंगा प्‍यारा, झंडा ऊंचा रहे हमारा...', यह इसी कविता का अंश है। पीएम मोदी ने एक झलक दिखलाई है, आइए जानते हैं कहानी अपने तिरंगे की।

पिंगली वेंकैया का था शुरुआती डिजाइन
स्‍वतंत्रता संग्राम के बीच यह जरूरत महसूस की गई कि एक ध्‍वज होना चाहिए। स्‍वतंत्र भारत की क्‍या पहचान हो, इसपर 20वीं सदी की शुरुआत से ही मनन होने लगा था। महात्‍मा गांधी ने 'यंग इंडिया' जर्नल के एक लेख में राष्‍ट्रध्‍वज की जरूरत बताई। उन्‍होंने पिंगली वेंकैया को इसकी जिममेदारी सौंपी। वेंकैया ने केसरिया और हरे रंग का इस्‍तेमाल कर ध्‍वज तैयार किया। इसमें केसरिया रंग को हिन्दू और हरे रंग को मुस्लिम समुदाय का प्रतीक माना गया था। गांधी ने लाला हंसराज की सलाह पर झंडे के बीच में चरखा जोड़ने का सुझाव दिया ताकि लगे कि झंडा स्‍वदेशी कपड़े से बना है। अप्रैल 1921 में कांग्रेस अधिवेशन के दौरान यह ध्‍वज सामने रखा जाना था, मगर वक्‍त पर ध्‍वज तैयार नहीं हो पाया।

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