2 yrs - Translate

एक राजा था। उसने दस खूंखार जंगली कुत्ते पाल रखे थे।उसके दरबारियों और मंत्रियों से जब कोई मामूली सी भी गलती हो जाती तो❓वह उन्हें उन कुत्तों को ही खिला देता था 🥱
एक बार उसके एक विश्वासपात्र सेवक से एक छोटी सी भूल हो गई....
राजा ने उसे भी उन्हीं कुत्तों के सामने डालने का हुक्म सुना दिया🥱😗
उस सेवक ने उसे अपने दस साल की सेवा का वास्ता दिया....मगर राजा ने उसकी एक न सुनी😎
फिर उसने अपने लिए दस दिन की मोहलत मांगी जो उसे किसी तरह मिल गई😀
अब वह आदमी उन कुत्तों के रखवाले और सेवक के पास गया और उससे विनती की कि वह उसे दस दिन के लिए अपने साथ काम करने का अवसर दे🙏
किस्मत उसके साथ थी,उस रखवाले ने उसे अपने साथ रख लिया.... 😀
दस दिनों तक उसने उन कुत्तों को खिलाया,पिलाया, नहलाया,सहलाया और खूब सेवा औऱ प्यार किया😀
आखिर फैसले वाले दिन राजा ने जब उसे उन कुत्तों के सामने फेंकवा दिया तो वे उसे चाटने लगे,उसके सामने दुम हिलाने और उसके पैरों में लोटने लगे🥱
राजा को बड़ा आश्चर्य हुआ.....🥱
उसके पूछने पर उस आदमी ने बताया कि महाराज इन कुत्तों ने मेरी मात्र दस दिन की सेवा का इतना मान दिया औऱ मेरे प्रति वफ़ादार हो गए... 🙏लेकिन आपने मेरी वर्षों की सेवा को एक छोटी सी भूल के कारण भुला दिया😎
राजा को अपनी गलती का अहसास हो गया और उसने उस आदमी को तुरंत भूखे मगरमच्छों के सामने डलवा दिया.... 🥱🥱
सीख :-
आखिरी फैसला मैनेजमेंट का ही होता है उस पर कोई सवाल नहीं उठाया जा सकता….......😀औऱ ख़ुद को क़भी भी बड़ा चालाक,काबिल या तीसमारखां ना समझें......😀
प्राइवेट और सरकारी दोनों दुखियारे कर्मचारियों को समर्पित.....
😀😀😀🙏🙏