शर्मनाक स्थिति संस्कृत यूनिवर्सिटी के बच्चे नहीं, दारुल उलूम के बनेंगे अग्निवीर…😠
घोर शर्मनाक है उस भारत देश के लिये जहां संस्कृत में पढ़ाने वाले गुरुओं ने गुरुकुल से धर्म, संस्कृति सहित 64 कलाओं की विद्या दी, सेना ही नही बनायी बल्कि हज़ारों लाखों राजाओं की निर्मिती करी, एक से बढ़कर एक धुरंधर वीर शूरवीर और महावीर बनायें जिनका आज तक विश्व ही नही ब्रह्मांड में अमर नाम है।
इसलिए इस देश की हिंदुवादी सरकार के द्वारा इस देश में आज़ादी में योगदान देने वाले बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी सहित 18 विश्वविद्यालयों को सेना की भर्ती सूची से बाहर के दिया गया। देवभाषा संस्कृत का ऐसा अपमान संवैधानिक और शासकीय तौर पर कभी नही हुआ है। वर्तमान में मैं संस्कृत विद्यार्थी नहीं हूँ लेकिन नैतिक रूप में संस्कृत के इस अपमान पर आपत्ति ही नही बल्कि निंदा कर सभी संस्कृतभाषी, संस्कृतप्रेमी, आचार्यों, शास्त्रीयों एवं गुरुजनों से निवेदन करता हूँ कि इसका विरोध सड़क पर, शासकीय तौर पर जाना ही चाहिए।
इस फ़ैसले को यदि भारतीय लोग, संस्कृत के मुर्धन्य विद्वान वापिस नही करा पाये तो यह भारत में संस्कार, संस्कृति के पतन के बाद संस्कृत को समाप्त करने को न्यू वर्ल्ड ऑर्डर की विनाशकरी नीति बनेगी।
और दारुल उलूम जैसे मदरसे क्या कर रहे हैं उसके बारे में लिखने जी आवश्यकता नही…
और यह सब स्तिथि IAS से लेकर हर जगह बड़ती जा रही है…क्यूँकि हिंदू गांधारी बन उसी डाल को काटने दे रहे हैं जिससे उनके वजूद है लेकिन मोदी जी के ग़लत फ़ैसलों पा भी मौन बनकर तमाशा देख रहे हैं…
धिक्कार हो…

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