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जिस मनुष्य के जीवन में धर्म नहीं वह साधन सम्पन्न रहने पर भी दुखी ही रहता है।
जहाँ धर्म रुपी साधना है वहाँ साधनों के अभाव में भी सुख और शांति है...
धर्माचरण से ही नव संकल्पों का सृजन होता है।

शुभनवप्रभात सनातनवंशियों!
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