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एक छोटी सी बच्ची है पांच साल की । एक अबोध जिसे पेंसिल की कीमत का पता नहीं होगा वो पेंसिल की महंगाई के लिए पीएम को चिट्ठी लिख रही है? एक सादा पेंसिल 1 या 2 रुपये की आती है । उसकी मम्मी 1 या 2 रुपये के लिए उसे मार रही है ? क्या यह प्रश्न आपको उद्वेलित नहीं करते ? क्या शंका नहीं होती आपको इन लोगों की मंशाओं पर ?
ये बच्ची सुभाष अकादमी में पढ़ती है जो कि कन्नौज के वन ऑफ द बेस्ट CBSE स्कूल्स में से एक है । बच्ची के स्कूल की फीस ही 55 हजार सालाना है । कॉपी किताब, ड्रेस एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज ये सब मिलाकर 1 लाख रुपये साल का अनुमानित बजट होगा । 1 लाख सालाना खर्च करने वाली कलियुगी मां अपनी बेटी को 1 रुपये की पेंसिल के लिए पीट रही है ।
आपको समझ आये या न आये पर ये कहानियां हैं जो आपके खिलाफ जनमत तैयार करने के लिए गढ़ी जा रही हैं, जनता के मन में नैरेटिव सेट करने के लिए । इस कुकृत्य में अब मासूम बच्चों को शामिल किया जा रहा है जो कि बेहद खतरनाक है ।
आपको शायद अब याद नहीं रहा होगा पर 2015 में दो मात्र छः महीने के बच्चे अर्जुन और आरव और एक चौदह महीने की बच्ची जोया भसीन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की । चूंकि अभी इनके फेफड़ें पूर्णतया विकसित नहीं हुए हैं अतः इन्हें दशहरा और दीपावली पर होने वाली आतिशबाजी के धुँए से खतरा है । दशहरा और दीपावली ले अलावा उन्होंने किसी अन्य इवेंट/ त्यौहार की बात तो की लेकिन नाम मेंशन नहीं किया ।
छोटे छोटे बच्चों के मन मे जहर भरा जा रहा है । गोएबल्स ले तरीके अपनाए जा रहे हैं । इस वामपंथी तिलिस्म को हमें तोड़ना ही होगा । इन लोगों पर कानूनी कार्यवाही ही एकमात्र विकल्प है ।
मैं माननीय मुख्यमंत्री MYogiAdityanath जी से यह निवेदन करता हूँ कि बाल उत्पीड़न की इस घटना का संज्ञान लेवे और इस अत्याचारी महिला के खिलाफ विधिक कार्यवाही सुनिश्चित करें । 🙏🏻

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