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#नैरेटिव_चड्डा
अगर आपने दंगल देखी हो तो आप ध्यान से देखिये कि फोगाट द्वारा अपनी बच्चियों को चिकन खिलाने और चिकन बेचने वाले सीन को हटाकर मूवी की कल्पना करें।
क्या मूवी के कंटेंट पर कोई गुणात्मक असर दिखा? कोई कमी आई??
नहीं न!
क्योंकि उस मुल्ले कसाई को दिखाकर न केवल मांसभक्षण का प्रचार करना था बल्कि एक मुस्लिम , जो तमाम हिंदू गांव वालों के विपरीत भारत के पदक के लिए बड़ा चिंतित देशभक्त है, को भी दिखाना था।
वास्तविकता ये थी कि महावीर फोगाट की वास्तविक कहानी में ऐसा कोई मुस्लिम चरित्र था ही नहीं।
नैरेटिव ऐसे सैट किये जाते हैं।

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