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मैं चाहता हूं कि गजोधर भैया एक बार फिर उठें और अपने डेड हो चुके ब्रेन से कहें कि 'हां ये कर लो पहले, बड़े लोग हैं करते होंगे ऐसे
सबके ब्रेन को खुश रखने वाले गजोधर भैया का ब्रेन डेड हो गया है। देशभर से लोग उनकी सलामती के लिये दुआएं कर रहे हैं। उनमें मै भी शामिल हूं। कभी सोचा नहीं था कि जिसके जोक पर पेट दुखने तक ठहाके लगाता था, एक दिन उन्हें इस हाल में भी देखना पड़ेगा।
मै उन्हीं के बनाये किरदार गजोधर, बिरजू और संकठा से पूछना चाहता हूं कि राजू भैया वाली जिंदगी की ट्रेन कहीं छूट तो नहीं जाएगी? शादियों में लगी वो टिमटिमाती झालर बुझ तो नहीं जाएगी? वो मोमबत्ता हवा के सामने इतराना बंद तो नहीं कर देगा? बफर की प्लेट का वो अचार इकट्ठा तो नहीं आएगा? मेरे अलावा रेलवे स्टेशन पर लगी स्क्रीन पर चल रही शिल्पा के जहन में भी यही सवाल होंगे। वही शिल्पा जो गजोधर को लाइन मरती थी और गजोधर अपने चाचा से उसकी शिकायत करते थे। यही सवाल बाढ़ में डूब रहे उस शख्स का है जिससे गजोधर पूछता है कि आप डूब रहे हैं आपको कैसा लग रहा है। इसमें वो बम भी शामिल है जो फटने से पहले गजोधर भैया से अनुमति लेकर ही फटता था।
यकीन मानिए इन सभी का पूछना जायज है। गजोधर भैया हैं ही इतने अच्छे कि क्या बताएं। भगवान न करें उन्हें कुछ हो क्योंकि अगर कुछ हो गया तो उनके लिए मजाकिया और चुटीले अंदाज में श्रद्धांजलि देना सबसे कठिन होगा। ऐसा इसलिए कहा क्योंकि कभी उन्हें उदास देखा ही नहीं, उन्हें कोई ऐसी बात करते नहीं सुना जिसमें नकारात्मकता का वास हो।
बाबा आनंदेश्वर से प्रार्थना है कि महादेव आपको जल्द से जल्द स्वस्थ करें.......

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