यूरोप में शताब्दियों पूर्व अकाल पड़ा था।वहां के लोगों ने सुखी नदियों में, मृत लोगों की याद में hunger stone लगा दिये थे।
यूरोप में ऐसा सूखा पड़ा है कि सारे स्टोन दिखाई पड़ रहे है।
चीन , जो वर्तमान में सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। ऐसा सूखा पड़ा है कि योत्से नदी में हमारो वर्ष पूर्व बनी भगवान बुद्ध कि मूर्तियां दिखाई पड़ने लगी है।
पन बिजली सयंत्रो के बंद होने से ,चीन में ऐसा ऊर्जा संकट खड़ा हो गया की 6 दिन के लिये बड़े शहरों में बिजली काट दी गई है।
अफ्रीका तो पहले से तप रहा था, अब भूख से लोग बेहाल है।
यह मनुष्य सभ्यता को प्रकृति कि चेतावनी है। अब भी संभल जाओ।
ईश्वर अब एक पवित्र भूमि से निराश नहीं है।
वह है , भारत।
भगवतीगंगा सहित यमुना , गोदावरी , ब्रह्मपुत्र उफान पर है।
वर्षा ऋतु जाने को है, चहुओर हरियाली है।
इस प्रकृति पूजक सभ्यता को, अपने उत्तरदायित्व को समझना होगा।
वन , जंगल , नदी , पौधे, पशु, पँछी सबके अस्तित्व का महत्व वही है ,जो मनुष्य का है।
यह स्वंय समझना है, औरों को भी बताना है।
चीन के योत्से नदी में ,बुद्ध कि यह प्रतिमा ! उनकी जन्मभूमि के लिये संदेश है, विश्व की रक्षा करो।