एक ज़माना था जब बारातियों का स्वागत ऐसे किया जाता था.... चारपाई, चादर, तकिया, कुर्सी लगाकर बारात का इंतजार होता था उनकी अच्छी खातिरदारी की जाती थी, जो की अब पश्चिम सभ्यता की वजह से सब लुप्त हो गया है लगभग 20 - 25 वर्ष पहले भी ऐसे नजारे देखने को मिलते थे।
कितना सुकून था? कितना व्यवहार था? लोगों का दिल कितना बड़ा होता था? अपनों व परायों के लिए कितना प्यार व अपनत्व था? कैसे मेहमानों का स्वागत किया जाता था? लोग स्वागत में कोई कसर नहीं छोड़ते थे।
लेकिन अब तो खड़े-खड़े जाओ, खड़े-खड़े खाओ और खड़े-खड़े ही रवाना हो जाओ। सब कुछ ही लगभग उल्टा सा होता जा रहा है।
हम आखिरी पीढ़ी के लोग हैं, जिन्होंने बचपन में इस प्रकार स्वागत होते देखा है। हम भी इसमें बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते थे।
क्या आपने भी ऐसे स्वागत करने का लुफ्त उठाया है?
पूरे गांव के लोग व रिश्तेदार मेहनत करते थे सबमे अपनापन था।
यदि हाँ, तो यकीन मानिए आप बहुत भाग्यशाली हो, आपका बचपन खुशियों से भरा हुआ था। इस तस्वीर को देखकर आपकी पुरानी यादें ताजा हो जाएगी।