क्या ऐसी कोई कविता अन्य मजहब,या सम्प्रदाय या जैसे ईद कृसमस या किसी नेता के जीतने के बाा जो पटाखे छोडे जाते है उसपर कोई लिख सकता है ।
या सिर्फ हिंंदुओं की दिवाली पर ही सारा ग्यान दिया जाता है
ये कैसा सेकुलरिज्म है
इस देश मे ?

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