गांव की रसोई जो शहर वालों को शायद ही नसीब होती हो।
राबोड़ी रो हाग बणावा,रांदा खींच अर घाट
घी तेल रा चूरमा,जीमण आळा जाणे ठाठ।
आज ठंड की अणूती ही पड़े ही म्हारे भी घरे जावण री उतावल ही ।शहर सू बारे एक गांव सू निकळियो ही हो कि एक टाबरियो झालो देर गाड़ी रोकाई।टाबरिये ने पूछियो सिद जाणो है मोटियार तो बोलियो आज मोमाळ जाणो है।अरे रविन्द्र इतो मोड़ो मोमाळ किकर याद आयो थने।
आज थोड़ो प्रोग्राम है मोमाळ में जुगता मामा रे हल्दी री पार्टी है।
हल्दी रो नाम सुण ने म्हारे भी एकर तो ही उड़गो।मन में लाडू फूटो कि आज तो टाबर ने ठेठ जुगता मोमा रे घरे आगे ही छोड़ण जाणो पड़ी। थोड़ी वाना ही लेन आओ अर कोई ढंग रा बुजुर्ग मिलगा बारे तो हवारा हाथ पीळा होयोड़ा ही लादी😀😀
टाबरियो बोलण में अणूतो फारवेट। मैं पूछियो इण हियाळे में कितीक हल्दी री सब्जियां जीम ली रवीन्द्र।जट देखाणी घर गिणातो बोलियो आठ तो जिम लिया।
मैं मन में होशियो नेटवर्क तो म्हारे भी तगड़ो है पण इण टाबरिये रो हल्दी रो मीटर तो म्हारे सू भी तेज हाळे है।
दोएक किलोमीटर चाल्या ही हा कि टाबरिये तो गाड़ी रोका ली। मैं कियो ले ठेठ घर तांई छोड़ दूं बेटा अंधारो पड़गो है।
ना ना मूं हमें जातो रेऊ, यों के टाबरिये तो एक्सीलेटर दाबियो अर जुगते मामे री ढाणी नेड़ी करी।
मैं कियो चाल जीवड़ा आज तो हल्दी थांरे लिखियोड़ी कोनी ओ रवीन्द्र तो धोको देयगो😂😂
खैर साथिड़ो थे बताओ थांरो हल्दी आळो मीटर किता माते हाळे है ? कितीक जीम ली थे