आज माता-पिता 18 साल तक अपनी बेटी को ख़िला पिला कर पढ़ा लिखा कर बड़ी करते हैं 19 साल लगते ही बेटी किसी के गलत संगत में फंसकर कोर्ट मैरिज कर लेती है!

और कहती है कि मैं इनको जानती ही नहीं सरकार से निवेदन है इस कानून को जल्दी से जल्दी बदले मां-बाप का घर है कोई अनाथ आश्रम नहीं जहां 18, साल खा पीकर मौज करो फिर इज्जत उछाल कर चल पड़ो कम से कम ऐसा कानून बने जिसमें दोनों पक्षों के माता-पिता की हाजिरी अनिवार्य हो ।

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