मंदिरो के भव्य स्वरूप पर जो तल्ख़ी से पूछ रहे हैं कि इनसे क्या मिल रहा है,वो बताएँ, कि उनके समय हज सब्सिडी,मौलवियों को तनख़्वाह, क़ब्रिस्तान को पैसे व शरिया के हिस्से को संविधान की मान्यता दे कर बिना रोज़ा रखे रोज़ा इफ़्तारी दावत दे कर अर्थव्यवस्था व गरीब का कल्याण हो रहा था ?