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अंतराष्ट्रीय अर्थशास्त्री, भारत को चीन से तुलना करके बात करते है।
ऐसी किसी तुलना कि आवश्यकता नहीं है। चीन 25 साल पहले उदारीकरण लाया , हम 25 वर्ष बाद। अभी किसान बिल के साथ क्या हुआ! वह देख सकते हैं। लोकतंत्र के साथ चलना कठिन होता है।
लेकिन क्या भारत अपना वैभव पा सकता है।
बिल्कुल पा सकता है। यह कोई स्वप्न नहीं है। हमें विकास को तकनीकी के साथ जोड़ना होगा। दूरदर्शी नेतृत्व हमारे साथ हो।
पिछले 5 -6 वर्षों में भारत में एक चमत्कार हुआ है। जिसकी चर्चा हर आर्थिक फोरम पर हुई है।
Digitisation of money.
यह एक ऐसी घटना है। जो इसका उदाहरण है कि असंभव को संभव कैसे बनाया जाता है।
जिस देश में 80 % जनता के पास बैंक खाते न हो, वहाँ तो यह और भी असंभव है। यह यात्रा धरातल से उठकर एवरेस्ट तक पहुँचती है।
प्रधानमंत्री जनधन योजना लेकर आये जँहा जीरो बैलेंस पर खाते खोले गये। पहले ही वर्ष में 7 करोड़ लोगों ने खाते खुलवाये।
पहले भारतीय बाजार अमेरिकन कम्पनी मास्टर कार्ड, वीसा का अधिपत्य था।
RBI ने UPI जैसा ट्रांजिट व्यवस्था लांच किया। इससे सभी पैसे के लेन देन के माध्यम को जोड़ा गया।
देखते देखते यह इतना लोकप्रिय हुआ कि हर व्यक्ति इससे जुड़ गया।
भारत ही क्या, आज दुनिया के 15 देश UPI का उपयोग करते है। इसे सबसे सुरक्षित माध्यम मानकर गूगल जैसी कम्पनियों ने उपयोग करना शुरू किया।
UPI ! पिछले पाँच वर्षों की क्रांति है। जिससे अमेरिका जैसे देश भी भयग्रस्त है।
IMF ने अभी अपनी रिपोर्ट में UPI को लेकर कहा, सारी दुनिया को इससे सीखना चाहिये।
UPI का महत्व भ्र्ष्टाचार रोकने, आम आदमी तक लाभ पहुँचाने में हुआ है।
यह पूर्ण मुफ्त व्यवस्था है। लेकिन भारत सरकार को इससे लाभ भी हुआ है। हजारों करोड़ रुपये नोट छपाई के बचे है।
UPI की लोकप्रियता इतनी है कि लोग चाय का भी वैसा QR कोड से देते है।
इस पूरे क्रांति का श्रेय प्रधानमंत्री मोदी की दूरदर्शिता को जाता है।
5G अभी लांच हुआ है।
यह भी बड़े परिवर्तन का आधार बनेगा। इतने रोजगार पैदा करेगा कि जिसकी अभी हम कल्पना भी नहीं किये है।
क्या युवा पीढ़ी 5G को लेकर तैयार है। वह इसके उपयोग को लेकर विशेज्ञता हासिल करें।

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