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यद्यपि महाभारत जैसा सुंदर धारावाहिक अब नहीं बन सकता है। बीआर चोपड़ा को व्यास जैसी उपाधि दी जाती है। लेकिन कुछ जगहों पर वह ऐसे कथानकों का सहारा लिये, जो मूल महाभारत में नहीं है।
वेदव्यास की #मूल_महाभारत के
प्रमुख पात्रों में सबसे दुर्बल कर्ण हैं।
सबसे मजबूत पात्र द्रौपदी हैं।
वेदव्यास की महाभारत में
उन्होंने कभी नहीं कहा कि, अंधे का पुत्र अंधा होता है।
लेकिन महाभारत सीरियल में
इसके उलट दिखा दिया गया।
कहावतें, मुहावरे, चित्रण समय के साथ कैसे किसी को नायक, किसी खलनायक बना देते हैं।
उस काल में लोगों ने द्रौपदी के विद्रोह, संघर्ष, ज्ञान को जानते थे। तभी तो उन्हें सती नारी कहा गया।
उनकी विद्वता से समझ सकते हैं।
प्राचीन भारत की नारी कितनी शक्तिशाली थी।
चीरहरण के समय हस्तिनापुर की सभा में बड़े प्रसिद्ध विद्वान, विधिधर्मज्ञ, योद्धा बैठे थे।
द्रोपदी ने प्रश्नों की बौछार कर दी।
सभी निस्तेज, निरुत्तर होकर सिर झुका लिये।
उन्होंने भीष्म से पूछा आप तो बृहस्पति, भार्गव के शिष्य हैं। बतायें क्या स्त्री वस्तु है, पदार्थ है, जिसका उपभोग करके फेंक दिया जाय।
उन्होंने विदुर से पूछा क्या स्त्री स्वंत्रत है ?
या दूसरों की इच्छा से चलने वाली कठपुतली है।
धर्म की दृष्टि में पुरुष, स्त्री से कैसे अधिकार संपन्न है।
द्रोपदी ने विचारकों, धर्मज्ञ , तत्वज्ञानियों को आत्मग्लानि में डाल दिया।
द्रौपदी, अपने अपमान से निकल गई, लेकिन वह लोग अपनी आत्मग्लानि से नहीं निकल सके।
द्रौपदी के वाक्य बड़े गम्भीर थे -
जिस राष्ट्र में शक्ति पूज्यनीय हो, उसी राष्ट्र में नारी का ऐसा अपमान हो रहा है। इस अपराध के लिये, आप सभी को धर्म कभी क्षमा नहीं कर सकता।।

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