बेटियां कभी अपने मां बाप के लिए बोझ नहीं होती है
जब हम किसी लड़की से शादी करते हैं तो उसकी
देखभाल की
जिम्मेदारी हमारी होती है लड़की की मां बाप की नहीं होती है
मर्द वही होता है जो रिश्तो में बराबर देखभाल रखें हम लोग ज्जबात मे बहकर शादी तो कर लेते हैं
लेकिन शादी को निभाना भी है ऐ हम भूल जाते हैं इसके नतीजे कुछ ही महीनों में पति पत्नी के बीच दीवार खड़ी होनी चालू हो जाती हैं
ऐ दीवार खड़ा करने में लड़के के मां बाप का सबसे बड़ा हाथ होता है इनकी नजर मे ओ लड़की इनकी सबसे बड़ी दुश्मन होती है
शादी प्यार करके करें या मां-बाप की मर्जी से करें लेकिन लड़के के मां बाप उस लड़की को वक्त के तौर पर पसंद करते हैं
और अपनी रजामंदी का इजहार भी कर देते हैं लेकिन उनके दिल में ओ लड़की उनकी सबसे बड़ी दुश्मन होती है क्योंकि ऐ समझते हैं
कि ऐ है ओ लड़की जिसने हमसे हमारा बेटा छीना और लड़के के बेहन भी समझती हैं यही है वो लड़की जिसने हमसे हमारा भाई छीना। है फिर उसके बाद उस हंसते खेलते घर ऐसी तीली लगाती हैं कि जो लड़का कुछ महीने पहले अपनी पत्नी के साथ सारा दिन मोहब्बत की बातें करता था और अब उस लड़की का नाम सुन्ना भी पसंद नहीं करता और इसी तरह वो बसा बसाया घर कुछ ही महीनों में उजाड़ ने के करीब पहुंचा दिया जाता है और उस लड़की को उसके घर पहुंचा दिया जाता है बेटियां कभी अपने मां बाप के लिए बोझ नहीं होती है लेकिन मां-बाप अपनी बेटी का दुख बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं और बेटी के ससुराल वालों के पैरों तक गिर जाते हैं और
ससुराल वाले ऐ समझते हैं की