महाराज राव गैटा मीणा(बडगोती)
#गैटोर को महाराज #राव_गैटा_मीणा ने बसाया था बाद में नरवर ग्वालियर मध्यप्रदेश से आये काछियो ने छत्रि बनाकर इतिहास को ख़त्म करना चाहा परन्तु इतिहास कभी नहीं मिटता
#नंढला(बडगोती) मीणा लोग अन्य सभी मीणा लोगों की तुलना में सबसे पुराने लोग हैं। नंढला लोग गुरु नांढा को मानते थे। लेकिन, अतीत और वर्तमान के बीच के अंतर के कारण अधिकांश मीणा लोग उसके बारे में नहीं जानते हैं। नंढला मीणा लोगों का अधिकांश इतिहास मीणा लोगों को दबाने के लिए राजनीतिक कारणों से नष्ट कर दिया गया है।
#नंढला मीणा लोग गट्टोर घाटी क्षेत्र (राज्य) के शासक थे। गट्टोर घाटी क्षेत्र में मुख्यतः नंढला मीणा लोग निवास करते थे। नंढला लोग भी उत्तरी राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों में रहते थे। #970 ACE के बाद, नंढला मीणा साम्राज्य ढोला राय (दुलेह राय) के बेटे मैडेल राव द्वारा नष्ट कर दिया गया था।
गेटोर की #छतरियों के कदम्ब कुंड में हैं, "मीणा" बस्ती के पौराणिक "अवशेष (प्रतिहार काल में गेटोर गयट्टपुर था
#जितेन्द्र_सिंह_शेखावत
ब्रह्मपुरी इलाके में #गेटोर की छतरियों के पीछे पहाड़ी की खोल में #मीणा सभ्यता के खंडहरनुमा मकानों के अवशेष मौजूद है। जयपुर बसने के समय राजाओं का अलग से मोक्षधाम कायम करने के लिहाज से इस #गेटोर की मीणा बस्ती को उठाकर जगतपुरा के पास नए गेटोर के नाम से बसा दिया गया था।
मीणा इतिहासकार रावत सारस्वत ने पुराने गेटोर को मीणा शासन से पहले प्रतिहार काल से जोड़ते हुए गयट्टपुर नामक नगर भी बताया है। गयट्टपुर का अर्थ प्रचुर संपत्ति का घर माना जाता है। इतिहासकारों को प्रतिहार काल का कुछ साक्ष्य बधाल गांव से मिले सन 772 और सन 798 के दो ताम्र पत्रों में मिलते हैं। यह ताम्रपत्र हवा महल संग्रहालय में है।
इतिहासकारों ने गेटोर को मीणा राजधानी खो नागोरियान व नई का नाथ जैसा माना है। कदंब कुंड के कुएं का पानी बरसात में बाहर छलक जाता है। पहले पेट के रोगी इस कुएं का पानी पीने के लिए ले जाते थे। बीस साल पहले प्रतापेश्वर कुएं की खुदाई में पौराणिक काल के मिट्टी के बर्तन आदि अवशेष भी निकले थे। कदंब कुंड समिति अध्यक्ष मनीष सोनी ने कहा कि गेटोर की पौराणिक सभ्यता के अवशेषों का पुरातत्त्व विभाग संरक्षण करें।
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