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मैं इसीलिए किसानों के लिए लिखता हूँ क्योकि मैं उनका दर्द समझता हूं स्वयं एक किसान हूँ और ये दर्द हमारे पूर्वज सदियों से सहते आ रहे है आज भी सहन कर रहे है
आप सोचो खुले आसमान के निचे ये जो चारपाई दिखाई दे रही है इस ठिठुरती हुई सर्दी में किसान रात भर पुरानी रजाई और एक गदुली मे बिना पलक झपकाये कैसे रात गुजारता होगा
3 से 4 माह तक वो 24×7 यहाँ समय व्यतीत करता है किसी भी रात को यदि उसको नींद आ जाती है तो #गाय #नीलगाय और जंगली सुअर मिलकर मात्र 1 घण्टे में सारी #फसल को चौपट कर देती है ऐसा बहुत सी बार हुआ है जब फसल काट कर खेत मे रखी होती है तब भी आवारा गायें और जंगली जानवर उसे नष्ट कर जाते है
प्रकृति भी किसान के साथ अजब खेल खेलती है जब वर्षात की जरूरत होती है तब बून्द भी नही गिरती और जब फसल पकती है तब तेज आंधी ओले और अनगिनत प्राकृतिक आपदाएं इसको घेर लेती है फिर हम बात करते है मुआवजे अनुदान और फसल बीमा की उसकी हालत क्या है वो शायद आपको बताने की आवश्यकता नही है क्योकि उससे आप भली भांति बाक़ीब है
साथियो इसीलिए कहता हूं कि किसान को सम्मान दो उसके हक की लड़ाई में उसका साथ दो जिस दिन उसने खेती करना छोड़ दिया उस दिन हमारा वजूद खत्म हो जायेगा भूखे मरेंगे क्योकि पेट अन्न से भरता है 2 - 2 हजार के नोटो से नही
ये सिर्फ किसान की लड़ाई नही है आमदनी के भी हक़ की बात है क्योंकि जब जमाखोरी बढ़ेगी तो आपको आवश्यक सामग्री सामन्य की तुलना में काफी महंगी मिलेगी उदाहरण के लिए आप इस वर्ष आलू और प्याज की कीमतों से अंदाजा लगा सकते है
आप ही बताओ 40 रु किलो का भाव किसे मिला #व्यापारियो को या #किसान को
आप इनके दर्द को महसूस करो जब आप दो रजाइयों में घर के अंदर सोते है तब ये खुले आसमान के नीचे पुराने से कपड़ो में ठिठुरन भरी रातों को गुजार रहे होते है
मुझे गर्व है मैं उस कौम का हिस्सा हूँ जो दुनिया का पेट भरती है
जय किसान जय जवान जय हिंद जय विज्ञान

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