गांव री अनपढ पतासी अपणै घर मे दो टाबरो श्यामू अर लूणी रै साथै अपणै टूटा फूटा मकान मे ऐकली रेवै। पति नै गए च्यार बरस होग्या पण पतासी हिम्मत आळी लुगाई ही दु:ख रा दिन हिम्मत स्युँ काड्या दोन्यू टाबरा नै स्कूल मेल्यां बाद खुद मेहणत मजूरी करण खातिर माथे ऊपर तगारी ले अर नरेगा मे जावै । मन मे एक ही मुराद ही क टाबर चोखा पढ लिख ज्यावै अर आपरै पगां माथे ऊभा व्है ज्यावै। बाद मे बेटा बेटी रो ब्याव चोखा घराणै मे व्है ज्यावै तो जीवन सफल हु ज्यावै ।
मन मे हरखती मोदीजती घर मे रोटी साग बणा अर नरेगा मे काम करबा जावती।
ऐकली लुगाई नै ओ जमानो अबळा कैवै पण पतासी स्वाभिमानी लुगाई ही।
एक दिन नरेगा मे आगती पागती लुगायां खुसर फुसर करती सुणीजी...पतासी बानै पूछ्यो आज काँई खुसर फुसर करो काँई बात है? लुगायां मूँ ऐक लुगाई पानकी बोली आज नरेगा रो मेट बोल्यो है काले सगळी लुगायां नै सौ सौ रिप्या ल्याणा है अर मेट ने दैणा है।
पतासी बोली काँई बात रा रिप्या देणा अपां मेहणत करां हाँ बाजूओ रे दम स्युँ मजूरी करां अर कमावां टाबरा रो पेट भरां मेट नै किण बात रा पैसा देवां? कनै बैठी जणकारी बाई बोली ऐ सुणे डावङी पतासी ओ मेट कैवै सौ सौ रिप्या जमा कराओ तो अ रिप्या भेळा कर अर ऊपरला अफसर नै देणा पङसी नही तो बो रेट कौनी चढावै।
पतासी बोली आ बात गळत है ऐक सरकारी अफसर जो पच्चास साठ हजार तिणका सरकार स्यु लेवै है फिर भी अपां गरीब री कमाई स्युं पेट भरणो चावै
ओ तो भ्रष्टाचार है म्हूँ तो एक रिप्यो कोनी दू।
आ बात कनै ऊभो मेट सुण ली बो बोल्यो रिप्या जमा नी करासी तो आगले हफ्ते नरेगा रा मिस्टरोल मे थारो नाम कट ज्यासी।
डर स्युँ सगळी लुगायां दूसरे दिन रिप्या दे दिया ।
पतासी भी रिप्या देवण मे मजबूर होयगी कैबत है अकेलो चनो भाङ कोनी फोङ सकै डर हो मस्टरोल मे नाम कट ग्यो तो टाबरा रै रोटी पाणी रा फौङा पङ ज्यासी।
आ बात सोच अर पतासी नै भी रिप्या देवणा पङ्या।
आज भी गांवो मे ऐसी अनेक कम पढी लिखी पतासी है जो गरीबी रे कारण भ्रष्टाचार रूपी बिच्छू रो डंक सह रही है.......