ये हैं लेखक अरुण कुमार जो पटना की सड़कों पर अपनी पत्नी के साथ दिनभर यूं ही खड़े रहकर अपनी किताब बेचते हैं!
'वीरा की शपथ' नाम से इन्होंने किताब लिखी है । मुझे इनके प्रमोशन का आइडिया अच्छा लगा । फिर याद आ गए 'नागार्जुन' । अपने बुरे दिनों में उन्होंने 'विलाप' और 'बुढ़ वर' की कॉपी ट्रेन में जा-जाकर बेची थी ।
लेखक जब चाह लें तो उन्हें सक्सेस होने से कोई नहीं रोक सकता ।