सोच रहा हूं जहरीला गदहा बन जाऊं । दुलत्ती मारता चलूं । जगह जगह लीद का निस्तारण करता चलूं ।
और इस तरह बिदबान परफेसर और फिर सिच्छा मंत्री बनने का मार्ग प्रशस्त कर लूं । लूट के माल का पहाड़ भी बनाऊं, देख देख मकनाऊं ।