अद्भुत पुस्तक । विलक्षण पुस्तक ।
यह सही है कि मैं "अद्भुत" और "विलक्षण" शब्दों का प्रयोग बहुत लापरवाही से बहुधा कर देता हूं । ऐसा करने से शब्द अवमूल्यन का खतरा है । पर मेरी कठिनाई यह है कि मेरा शब्दकोश सीमित है, टूटा फूटा है । उसमें ऐसे मोती नहीं हैं जो इस नन्हीं सी पुस्तक की चमक बांध सकें । इसीलिए विवशता है कि "अद्भुत" कहूं, "विलक्षण" कहूं ।
रस बूंद बूंद टपकता है । और प्यास ! प्यास बढ़ती चली जाती है । आपको विश्वास नहीं होता ! मेरी बात न मानिए, डखरेन मेले का वर्णन पढ़िए । हजार कविताएं फेल हैं । नृत्य करता हुआ, तंद्रिल सा वर्णन है । आदमी आदिम "घंटी" के नशे में आविष्ट थिरक थिरक जाता है । चहुंओर आदिम महुआ की गंध फैल जाती है ।

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