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#इतिहास_के_पन्नों_से
साल 1959 में जब युवा दलाई लामा भारत के सिक्किम पहुंचे, तब उनके आस-पास मीडिया की भीड़ लग गई। उसी भीड़ में शामिल थी एक लड़की, हाथ में एक भारी-सा कैमरा लिए, जिसके बाहरी हिस्से पर लकड़ी का कवर था और एक फ़्लैश जिसका वज़न लगभग 9 किलो था। यह कोई और नहीं, बल्कि भारत की पहली महिला फोटो जर्नलिस्ट, होमी व्यारावाला थी। वह प्रेस में एकमात्र महिला थीं जिन्हें विशेष रूप से दिल्ली से इस मौके पर फोटो खींचने के लिए बुलाया गया था।
21वीं सदी में भले ही एक महिला फोटोग्राफर का होना बहुत आम लगे, लेकिन उस वक्‍त यह बड़ी बात थी। एक महिला के हाथों में कैमरा लोगों के लिए चर्चा का विषय था।
इसी को लेकर होमी ने एक इंटरव्यू में कहा- "लोग बहुत रूढ़िवादी थे। वे नहीं चाहते थे कि महिलाएं इधर-उधर घूमें और जब उन्होंने मुझे साड़ी में कैमरे के साथ घूमते हुए देखा तो उन्हें यह एक बहुत ही विचित्र लगा और शुरुआत में उन्हें लगा कि मैं कैमरे लेकर लोगों को सिर्फ़ बेवकूफ बना रही हूं। मैं फोटोग्राफर तो नहीं हो सकती। मैं सिर्फ़ दिखावा कर रही हूं। जो भी हो, उन्होंने मुझे गंभीरता से नहीं लिया। लेकिन यह मेरे लिए फ़ायदेमंद ही साबित हुआ।"
डालडा-13 के नाम से मशहूर होमी व्यारावाला उन सभी लड़कियों के लिए एक प्रेरणा हैं, जो जीवन में कुछ अलग करना चाहती हैं!

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