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गुलाब को लेकर चाहत उन दिनों कुछ अलग सी थी। चाहें कितना भी ना नुकुर करें पर उस दिन कॉलेज जाने वाली हर लड़की का दिल अलग सा धड़कता था।
लड़को के हाथ मे थामें उन गुलाबों को कोई लड़की मुस्कराते हुए थाम ले, इस बात का अलग ही वट हुआ करता था।
न यह कोई इकरार था और न ही कोई प्रणय निवेदन...बस पसंदीदा लड़की को इस बात का एहसास दिलाना होता था, कि वह कितनी खास है!
उन दिनों ऐसे ही किसी दिन कोई न जाने क्या सोच कर एक लड़की के लिए गुलाब का फूल ले गया। लड़की को न तो उस गुलाब और न ही उसके एहसासों की संजीदगी का अंदाज़ा था।
अपने दोस्तों के सामने खड़े होकर उसने बहुत हिम्मत से वो गुलाब उस लड़की को पकड़ाया था।
उसने गुलाब को देखा और फिर उस लड़के को। शायद पहली बार इतने करीब और गौर से देखा था। गहरी आँखों वाले उस लड़के के घुंघराले बालों की लटें उसके चेहरे पर आ रही थी, तो बहुत मासूम लगा था उसे। माथे पर पसीने की बूंदे लड़के की घबराहट को बयां कर रही थी...!
पहले उसे यह सब बातें बहुत ही फिल्मी लगती। उससे पहले हर गुलाब को उसने यूँही थाम कर सहेलियों के सामने अपने हाथ मे बढ़ते गुलाबों की गिनती को गर्व से बताया था।
पर उस समय उसे उस चेहरे को देखकर न जाने क्या हुआ? सारे दोस्तों की उस पर जमी निगाहों से झुंझलाकर उसने वो गुलाब उसके हाथों से खींचकर उसकी पत्ती पत्ती नोचकर फेंक दी, और बिना कुछ कहे चली गई।
सुना था कि उस लड़के ने घुटने के बल बैठकर एक एक पत्ती चुनकर उसे अपने हाथ की किताब में रख दिया था। उनकी महक ने जैसे पूरे वातावरण को अजीब से सन्नाटे में भर दिया था।
साल बाद लायब्रेरी में उस लड़की की पसंदीदा किताब के बीच मे उसे गुलाब के कुछ सूखे पत्ते मिले थे। शायद उन्हें यकीन था कि एक न एक बार यह किताब उसके द्वारा जरूर पढ़ी जाएगी, जिसके लिए वो गुलाब था।
जो सुर्ख गुलाब को अपना न सकी...सूखे पत्तों को सहेजे रखती है।