2 años - Traducciones

आदमी ग़लतफ़हमियों का शिकार,हो जाता है कभी कभी।
बढ़ाकर दूरियाँ दरकती हुई दरार हो जाता है कभी-कभी।।
कोशिशें करने नही देता,उसके भीतर के वहम का पहरेदार-
सब कुछ हाथ में होते हुए भी लाचार हो जाता है कभी-कभी।
पढ़ कर के पूराने ख़त पिघल जाती है रिश्तों पर जमीं बर्फ़-
सुलह करने में काग़ज़ भी किरदार हो जाता है कभी-कभी।
बदल देता है वक़्त ज़िंदगी के अर्थ जज़्बातों की किताब में-
बेइंतहा नफ़रतों के बाद भी तो प्यार हो जाता है कभी कभी।
नज़रअन्दाज़ कर देते हैं जिसे सफ़र में,उसी से ठोकर खाते हैं-
हमारी राह का वो पत्थर भी खुद्दार हो जाता है कभी-कभी।
छूट जाती हैं पतवारें जब भी कभी ज़िंदगी में आई सुनामी से-
माँ का कहा कोई क़िस्सा भी पतवार हो जाता है कभी-कभी।
शाम को लौटते हैं पिता, दोनो हाथों में भरकर के ख़ुशियां-
तब घर का आंगन भी भरा बाज़ार हो जाता है कभी-कभी।
थमाने की बात आती है चंद सिक्के अपने माँ बाप के हाथ में-
आदमी नौकरी करके भी बेरोज़गार हो जाता है कभी-कभी।
कर्म ही बनाते हैं इंसान को,ये कर्म ही बिगाड़ देते हैं कहानी-
आदमी कर्मों से भी मंदिर और मज़ार हो जाता है कभी-कभी।

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