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#अब_विषपक्ष_का_घृणित_वैक्सिन_विलाप !
#चाइना_बॉर्डर पर चीनी घुसपैठ के झूठे आरोप से लेकर,#सर्जिकल_स्ट्राइक,#राफेल पर संदेह और आरक्षण के झूठे वीडियो से लेकर रामसेतु और यहाँ तक कि #भगवान_राम के अस्तित्व तक पर उंगली उठाने वाले और दुष्प्रचार करने वाले मुर्दाखोर लकड़बग्घे अब कोरोना के वैक्सिन पर भी आरोप लगाने लगे हैं।
आरोप है कि कोरोना के वैक्सिन कोविशिल्ड और कोवैक्सिन से हार्ट अटैक और ब्रेन अटैक हो जाता है।
बिना विज्ञान और मेडिकल साइंस की समझ और ज्ञान के ही बहुत सारे नेता अपने पतित राजनीतिक लाभ के लिए लोगों में यह भयानक झूठ और भय फैला रहे हैं।
लेकिन ऐसे लोगों से #कुछ_जायज_सवाल हैं --
1) दर्द के लिए एस्पिरिन या पैरासेटामोल से लेकर गैस की दवा फैमिटिडिन या पेंटाप्राजोल आदि से लेकर बायोलोजिक्स रेमिकेड,गोलीमुमैब आदि #किसी_भी_दवा का कोई भी साइड इफेक्ट नहीं होता है क्या ?
2) दवा तो छोड़िए #हम_प्रतिदिन_जो आटा,मैदा,दूध,दही,घी,फल,सब्जी,मिठाई,
नमकीन आदि खाते हैं क्या उनका कोई अवांछित प्रभाव या साइड इफेक्ट नहीं होता ?
3)टीवी,फ्रिज,एसी,हिटर,मोबाइल,कंप्यूटर,बिजली के तार,ऑनलाइन ट्रांजेक्शन, डीजल,पेट्रोल,बैटरी,विद्युत से चलने वाले वाहन,जहाज,विमान,पुल,बांध,मिट्टी के बजाय पक्के मकान इत्यादि का क्या कोई साइड इफेक्ट नहीं होता ?
4) और तो और शैंपू,साबुन,डिटर्जेंट,जेल,पाउडर,क्रीम,
टूथपेस्ट,कोल्ड ड्रिंक्स और डिब्बा बंद खानों,मसलों आदि का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता क्या ??
5) निजी क्षेत्रों में और कुछ सरकारी क्षेत्रों में भी ड्यूटी के अप्राकृतिक घंटे,कार्यस्थल के अस्वास्थ्यकर वातावरण,सिनेमा,सीरियल और विज्ञापन की गंदगी से लेकर सरेआम होती जा रही नग्नता और जहाँ-तहाँ खुलती जा रही शराब की दुकानों का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता क्या ?
6) बच्चों के #ऑनलाइन_क्लास,होमवर्क और भारी भरकम स्कूल बैग का उन नन्हें मासूमों को कोई साइड इफेक्ट नहीं झेलना पड़ता है क्या ?
7) क्या #ऑपरेशन_के_समय बेहोश करने की तथा कुछ अन्य दवाओं के साइड इफेक्ट नहीं होते हैं क्या और क्या इनसे कभी-कभी जान पर खतरा होने का अंदेशा नहीं रहता है क्या ? तो क्या लोग पेट से लेकर दिल तक का ऑपरेशन नहीं करवाते हैं ?
😎 साइड इफैक्ट तो #सिजेरियन द्वारा शिशु के जन्म में भी होता है तो लोग फिर यह क्यों करवाते हैं ??
9) #एक्सीडेंट तो बाइक से लेकर ट्रेन और हवाई जहाज के भी होते हैं तो फिर वैक्सिन के निन्दक इनसे यात्रा क्यों करते हैं ??
1 अजी इस जगत में तो हर क्रिया की ही प्रतिक्रिया होती है तो क्या करें,कर्म करना छोड़ दें ???
#इस 'क्यों' में ही सबके उत्तर छिपे हैं !
वस्तुतः जिन्हें इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की प्रतिमा से एलर्जी थी,राष्ट्रपति भवन के बीटिंग रिट्रीट की अंग्रेजी धुनों के बदले भारतीय धुनों को लाने से एलर्जी थी,नये संसद भवन से जो जलभुन गये थे और अयोध्या में भगवान राम के भव्य राममंदिर से जो मेंटल हो गए थे उन्हें ही भारतीय वैक्सिन से भी #एलर्जी_है !
प्रश्न यह है कि खानपान से लेकर जनजीवन के विभिन्न अंगों तक सबके हानि-लाभ हैं। खानपान को तो नियंत्रित किया भी जा सकता है। जैसे किसी के रक्त में लौह तत्व की कमी है तो इसकी मात्रा बढ़ाने के लिए वह केला खा सकता है लेकिन यदि उसे रात में केला खाने से खांसी हो जाती है तो उसे इसका ध्यान रखना चाहिए।
इसी तरह जीवनशैली की विद्रूपताओं से उपजी समस्याओं का निराकरण कर इसका भी समाधान किया जा सकता है।
लेकिन जब औषधि या टीके या वैक्सिन की बात आती है तब यह #जीवन_रक्षक होने के कारण किसी मोमो,चॉकलेट या गोलगप्पे या धनिया,पुदीना की #श्रेणी_में_नहीं आता।
जीवन बचाने के लिए उपयुक्त औषधि या वैक्सिन का होना अत्यावश्यक हो जाता है।वैज्ञानिक इसके हानि-लाभ पर उपयोगपूर्व ही विचार कर लेते हैं और यदि लाभ की तुलना में हानि का अनुपात साधारण या बहुत कम होता है तभी उस दवा को सामने लाने का विचार वैज्ञानिक और चिकित्सक करते हैं।
इतना होते हुए भी पहले उस दवा या वैक्सिन के वर्षों तक अनेक अनेक #क्लिनिकल_ट्रायल किये जाते हैं और सुरक्षित या अल्प अवांछित प्रभाव होने के बाद ही उसे मरीजों के लिए बाजार में उतारा जाता है।
कोविशिल्ड तो इतनी अच्छी वैक्सिन है कि यह न केवल कोरोना के #दो_सौ से अधिक #वैरिएंट पर प्रभावी है बल्कि इससे हमारे देश में सौ करोड़ में से अर्थात #एक_अरब लोगों में से #केवल साठ-पैंसठ लोगों को ही कोई साइड इफेक्ट हुआ है यानी दो सौ पचास लाख या ढाई करोड़ लोगों में से मात्र एक व्यक्ति को ही खतरा हो सकता है अर्थात सौ में एक भी नहीं ! वैसे इसके पीछे भी उन लोगों के कुछ अन्य शारीरिक कारण हो सकते हैं।
अब ऐसे में इस चमत्कारी वैक्सिन की भी आलोचना या इसे लेकर दुष्प्रचार #वही_लोग कर रहे हैं जिनकी मोहब्बत की दुकान में नकली वीडियो की बिक्री होती है।
स्मरण रहे कि संजीवनी बूटी भी अदभुत थी,अन्यतम थी और प्राण बचाने वाली थी लेकिन उसके मार्ग में भी एक #कालनेमी आकर बैठ गया था और बैठकर झूठ फैला रहा था !
लेकिन लक्ष्मण जी से पहले उसकी ही चिकित्सा हनुमान जी ने भली-भांति कर दी थी। इस बार भी जनता ऐसे कालनेमियों की सही चिकत्सा अच्छी तरह से कर देगी भले ही कुछ देर के लिए वह कपिवर सी सरलता के कारण किंचित विभ्रांत क्यों न हो जाए !!
--- दिव्य भारत

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