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आज अक्षय तृतीया है पहले जब हम छोटे थे गांव जाकर गुड्डा और गुड़िया की शादी होती थी पूरे गांव के सभी छोटे बच्चे मिलकर गांव से थोड़ी दूरी पर एक बरगद का पेड़ था आज भी है वहां जाते थे सारे बच्चे मिलकर खुद तैयार होकर और अपने अपने गुड्डे गुड़ियों को तैयार करके ले जाते थे और खूब धूम धाम से इस त्यौहार को मनाते थे और वहां से लौटते समय रास्ते में जितने लोग मिलते थे उन्हें प्रसाद के रूप में दाल और गुड़ देते हुए एवम गीत गाते हुए आते थे आज पास में ही बरगद के पेड़ के नीचे कुछ बच्चों को ये त्यौहार मनाते देखा लेकिन आज का समय बहुत परिवर्तित हो गया पहले जैसा कुछ भी नहीं रहा
आज भी हमारे गांव में वो पेड़ है बच्चे हैं लेकिन वो समय नहीं जो बीत गया आज अब डिजिटल जमाना हो गया है बस यादें रह गईं हैं 😊❤️💐
आपके यहां कैसे मनाया जाता है इस त्यौहार को ?

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