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मोरे नयनन कबहुं पधारो।
ध्यान ज्ञान मोहे अगम महाप्रभु जिमि आन्हर उजियारो।।
नैनन अलख कौन विधि निरखै अगम जान कस पावै।
विमति विलोचन अज्ञ मूक कस बिनु रसना रस भावै।
कुबुधि भगति केहि भांति होइ प्रिय कामिहिं राम पियारे।
रवि उलूक अरु शशि पंकज जिमि उदयति विलगति न्यारे।।
राम कृपा चरनन रति उपजै मन मयूर पग डोलै।
राम कृपा पद गुन गन गुंजन मूक मुखर मुख बोलै।।
राम कृपा पद द्युति मन पसरै राम लगन मन लागै।
राम कृपा मम मन सरोज पद विवस्वान लखि जागै।।
जटा किरीट कांधे शुचि शायक पद कपीश छवि प्यारो।
मोरे नयनन कबहुं पधारो।।
श्री हरि ॐ

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