एक घडी, आधी घडी, आधी में पुनि आध। तुलसी चरचा राम की, हरै कोटि अपराध।।
✍️महाकवि तुलसी दास जी सुसंगति का महत्त्व का बखान करते हुए कहा है कि साधू अर्थात् भले एवं सच्चे लोगों की अतिअल्प संगति भी हमारे जीवन से कई प्रकार के बुरे कर्मो और पापों को हर लेती है। ज्ञानी साधु की संगत से हमारे अनंत कोटि जन्मों के अपराध नष्ट हो जाते हैं और केवल प्रारब्ध कर्मफल ही शेष रह जाता है। जैसे एक अच्छी उपजाऊ मिट्टी में ही एक कुशल फसल होती है, ठीक वैसे ही साधु संत का संग पाकर मनुष्य की सदवृत्तियाँ लहलहाती हैं।
✍️ दीपक शर्मा पारीक