जी न्यूज की पड़ताल में अढ़ाई दिन का झोपड़ा निकला मंदिर।

"अढ़ाई दिन का झोपड़ा", अजमेर, एक प्राचीन वैष्णव हिंदू मंदिर है

अजमेर में अढ़ाई दिन का झोपड़ा (हिंदू गुरुकुल) में मंदिर के स्तंभों का चित्रण जिसे 12वीं शताब्दी में गौरी ने मस्जिद में बदल दिया था। स्तंभों के बीच में उकेरी गई पूर्णकुंभ पर ध्यान दें। स्तंभ की निचली परत में श्री वत्स का प्रतीक देखा जा सकता है।

इसका निर्माण 1153 में संस्कृत विद्यालय के रूप में अजमेर के सम्राट विग्रहराज चौहान चतुर्थ द्वारा किया गया था और बाद में कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा 1193 में एक मस्जिद में परिवर्तित कर दिया गया। यह अजमेर शहर में स्थित है। इस मंदिर में पुराना शिलालेख और श्लोक आदि आज भी है, जिससे इस मंदिर के विग्रहराज चौहान द्वारा बनाये जाने के पुख्ता प्रमाण है, वह शिलालेख आज भी इस मंदिर में है। इस अढ़ाई दिन के झोंपड़े पर आप खुद देख सकते है, खिड़की पर स्वस्त्विक का निशान भी है, ऊपर कमल फुल है, और आगे फिर मूर्तिया भी।

अढ़ाई दिन का झोपड़ा - कुतुबुद्दीन ऐबक ने इसे मात्र ढाई दिन में बनाया था, ऐसा कॉंग्रेस सरकार द्वारा उपलब्ध करवाई गई पुस्तक में पढ़ा। सोचिये २.५ दिन में बन सकता है क्या? दरअसल कुतुबुद्दीन ऐबक ने इसे ढाई दिन में बनाया नही था, बल्कि तौड़ा था! स्वास्त्विक निशान, कमल फुल और मूर्ति होने के बाद भी लोग इसे मस्जिद कहते है!

यह मंदिर हिन्दू समाज की उदारसीनता की साक्षात गवाही दे रहा है।

जैन संत आचार्य सुनील सागर महाराज की ओर से दावा किया गया है कि, यहां जैन मंदिर रहा होगा। जब पार्श्वनाथ गुफा वाले मंदिर में गए तो सौ से ज्यादा मूर्तियां रखी हुई थी। साथ ही अढ़ाई दिन के झोपड़े के एएसआई सर्वे की भी मांग उठने लगी हैं। लेकिन आतंकी समुदाय की तरफ से इसका विरोध किया जा रहा है।

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