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"अनजाना इतिहास".......

बात "1955" की है! "सउदी" अरब के बादशाह "शाह-सऊदी" प्रधान मंत्री "जवाहरलाल नेहरू" के "निमंत्रण पर" "भारत आए" थे!

वे 4 दिसम्बर 1955 को दिल्ली पहुँचे, "शाह-सऊदी" दिल्ली के बाद,"वाराणसी" भी गए!

"सरकार ने"दिल्ली से "वाराणसी"जाने के लिए, "शाह-सऊदी" के लिए एक "विशेष ट्रेन" में, "विशेष कोच" की व्यवस्था की!

शाह सऊदी "जितने दिन" वाराणसी में रहे "उतने दिनों" तक "बनारस" की सभी "सरकारी इमारतों" पर "कलमा तैय्यबा" लिखे हुए "झंडे लगाए" गए थे!

"वाराणसी में" जिन-जिन रास्तों-सडकों से "शाह-सऊदी " को "गुजरना" था, उन सभी "रास्तों-सड़कों" में पड़ने वाले मंदिरों और मूर्तियों को पर्दों से ढक दिया गया था!

इस्लाम की तारीफ़ में, और हिन्दुओं का मजाक उड़ाते हुए शायर "नज़ीर बनारसी" ने एक शेर कहा था: -

"अदना सा ग़ुलाम उनका,
गुज़रा था बनारस से,
मुँह अपना छुपाते थे,
ये काशी के सनम-खाने"!

अब खुद ही सोचिये कि," क्या आज मोदी और योगी के राज में, किसी भी बड़े से बड़े तुर्रम खान के लिए, ऐसा किया जा सकता है ? आज ऐसा करना तो दूर, करने के लिए सोच भी नहीं सकता!

हिन्दुओ , उत्तर दो, तुम्हें और कैसे अच्छे दिन चाहिए ?

आज भी बड़े बड़े ताकतवर देशों के प्रमुख भारत आते हैं, और उनको वाराणसी भी लाया जाता है! लेकिन अब मंदिरों या मूर्तियों को छुपाया नहीं जाता है, बल्कि उन विदेशियों को गंगा जी की आरती दिखाई जाती है, और उनसे पूजा कराई जाती है!

जब था कांग्रेसियों का हिंदुत्व दमन! अब है भा ज पा का "लक्ष्य,"हिंदुत्व के द्वारा हिंदू राष्ट्र"!!

#जागो_हिंदुओ_जागो 🙌

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