🙏🙏जय सियाराम जी🙏🙏
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आरत लोग राम सबु जाना।
करुनाकर सुजान भगवाना॥
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जो जेहि भायँ रहा अभिलाषी।
तेहि तेहि कै तसि तसि रुख राखी॥
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भावार्थ:-गोस्वामी तुलसीदास जी कहते हैं कि दया की खान, सुजान भगवान श्री रामजी ने सब लोगों को दुःखी (मिलने के लिए व्याकुल) जाना। तब जो जिस भाव से मिलने का अभिलाषी था, उस-उस का उस-उस प्रकार का रुख रखते हुए उसकी रुचि के अनुसार मिले।
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सानुज मिलि पल महुँ सब काहू।
कीन्ह दूरि दुखु दारुन दाहू॥
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यह बड़ि बात राम कै नाहीं।
जिमि घट कोटि एक रबि छाहीं॥

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