आज विश्व तितली दिवस है। इन नन्हे से रंग बिरंगे पंखों वाले जीव से भला किसको प्यार नहीं होगा? पर इस प्रेम के बावजूद क्या हम अपने आस पास की तितलियों के बारे में जानते या उनको पहचानते हैं?

तितलियों से जान पहचान करने का मेरा शगल कोविड काल के दौरान बढ़ा। उसका एक कारण ये भी था कि उस वक्त मोहल्ले में अक्सर नई तितलियां दिखाई दे रही थीं। तभी तितलियों में रुचि रखने वालों का एक समूह बनाया और उसमें सब लोगों ने अपने आस पास दिखने वाली तितलियों की तस्वीरें डालनी शुरू कर दीं। देखते देखते हम सब ने मिलकर करीब कुछ ही दिनों में झारखंड की सत्तर अस्सी तितलियों के बारे में जान लिया।

उसके एक दो साल पहले तक हम लोग फेसबुक पर सामूहिक रूप से पक्षियों को हिन्दी नाम देने की कवायद शुरू कर चुके थे। मुझे लगा कि क्यों ना इसी तरह तितलियों को भी हिन्दी नाम दिए जाएं। पर व्यक्तिगत रूप से की गई वो कोशिश घर के आस पास की तितलियों को कवर करने के बाद से रुक गई। पर अगर मन में कुछ करने की इच्छा हो तो आपको सही लोगों से उचित समय पर देर सबेर मिला ही देती है।

इंटरनेट के ही जरिए मेरी मुलाकात एक समूह से हुई जो राष्ट्रीय स्तर पर तितलियों के अंग्रेज़ी नामों को भारतीय भाषाओं में तब्दील कर रहा था। सब लोगों की पृष्ठभूमि अलग अलग थी पर एक था तो वो अपनी प्रकृति और जैव विविधता के लिए प्रेम। अपनी अपनी व्यस्त दिनचर्या से समय निकाल कर हम सबने पिछले छह महीनों में हिंदी भाषी प्रदेशों में दिखने वाली तितलियों को उनके रंग रूप, आचार व्यवहार और आश्रय देने वाले पौधों के आधार पर नाम देने का सिलसिला शुरू कर दिया। दरअसल भारत में पाई जाने वाली तितलियों में अधिकांश के नाम ब्रिटिश सेना या ऐसे लोगों ने दिए जो यहां की संस्कृति से जुड़े नहीं थे । कुछ तो तार्किक थे पर कई ऐसे जिनका उस तितली की प्रकृति से कोई लेना देना नहीं था। कई शब्द तो सेना के ओहदे से जुड़े हुए थे मसलन Commander, Baronet, Lascar, कुछ जिनके तार विदेशी नामों से लिए गए जैसे Jezebel, Pierrot जिनका भारत से दूर दूर तक कोई संबंध ना था। इसीलिए इन नामों को भारतीय सांचे में ढालने की सख़्त ज़रूरत थी ताकि आम जन अपने आप को उस नाम से जोड़ सकें, उसे बोलते हुए एक अपनापन महसूस कर सकें। अब जब आप बहुरूपिया, आम्रपाली, चतुरंगी, तिकोनी, सांझ भूरी, तेजस, अंगद जैसे नाम सुनेंगे तो आपको उन तितलियों के बारे में कुछ तो अंदाज़ा हो जाएगा।

आज विश्व तितली दिवस के अवसर पर हमारे इस सम्मिलित प्रयास के पहले चरण में ज्यादा दिखने वाली 221 तितलियों का नामकरण हुआ है और इसी के साथ मेरे लिए खुशी की बात है कि मेरा तितलियों को हिन्दी नाम देना का एक सपना मूर्त रूप ले चुका है😊। इसी मुहिम से जुड़ा आलेख आज के दैनिक भास्कर में

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