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मेरी नानी ने पावन नगरी अयोध्या को हमेशा अजोध्याजी कहा! आज वेद वर्णित इस अयोध्याजी को गाली देने वाले सोचें क्या वास्तव में वो सनातनी हैं? मानव सभ्यता की प्रथम राजधानी है अयोध्याजी।

अयोध्या माहात्म्य पढ़िए, मन शांत होगा और अयोध्याजी भी समझ में आएंगी। महाविष्णु को सात पुरियों में सर्वाधिक प्रिय अयोध्याजी ही हैं। अयोध्याजी जागृत हैं। अतः पाप अपने सिर मत लें।

रूद्रयामल कहता है:-

कीदृशी सा सदा मेध्याऽयोध्या विष्णुप्रिया पुरी।
आद्या या गीयते वेदै: पुरीणां मुक्तिदायिका।।६।।

अर्थात्:- जो वेदो में गायी गयी है, जो सात पुरियों में अन्यतम मुक्ति देनेवाली है, जो महाविष्णु अवतार श्रीरामचन्द्र जी को अति प्रिय है और जो सभी अवस्थाओं में पवित्र है- ऐसी है वह आद्या पुरी।

यहां ध्यान दीजिए, अयोध्याजी को सभी अवस्थाओं में पवित्र कहा गया है। अतः WhatsApp वाले सारे मैसेज दुख में इधर-उधर शेयर करने वाले हिंदुओं को कहना चहता हूं कि मैं शास्त्रोक्त सप्रमाण से उनके सारे कुतर्क को काट सकता हूं, लेकिन इससे हिंदुओं में विभेद और बढ़ेगा, इसलिए मैं ऐसा नहीं करूंगा। अतः चेतनाशील बनें, न कि चेतनाशून्य!

हां, मैं सनातनी हिंदू हूं, कर्म और पाप-पुण्य को मानता हूं, इसलिए अयोध्याजी को कोसते हुए जिनके भी पोस्ट पर मेरी दृष्टि गई है, मैंने उन्हें अमित्र कर दिया है और यह आगे भी जारी रहेगा। मैं इस पाप में भागी नहीं बनना चाहता, ऐसे लोगों को मित्रता सूची में रख कर। अतः ऐसे कदम उठाने के लिए मुझे क्षमा करें। 🙏

चुनाव है। हार-जीत चलती रहती है, परंतु उसके लिए अपने आराध्य प्रभु श्रीराम और उनकी प्यारी नगरी को कोसना आपको विधर्मियों की श्रेणी में रख रहा है। कर्म ही हमारे अगले जन्म का कारक है, अतः अपने कर्म न बिगाड़ें। पार्टीवादी या व्यक्तिवादी चुनावी हिन्दू नहीं, सनातनी हिंदू बनिए। वही शाश्वत है।

निम्न लिंक से अयोध्या-माहात्म्य मंगवा कर पढ़िए। इसमें स्कंद पुराण का वह श्लोक भी मिलेगा, जिससे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अयोध्याजी में श्रीरामजन्म भूमि सिद्ध हुई हैं! मन शांत रखिए और पढ़िए। पढ़ना सारी पीड़ा हर लेता है। जयश्री राम! जय अयोध्याजी।

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