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भगवान राम ने शबरीजी से कहा - शबरीजी ! मेरे दर्शन का फल बड़ा अनोखा है। - दर्शन होने पर आप क्या देते हैं ? प्रभु कह सकते थे कि अर्थ देता हूं, धर्म देता हूं, काम देता हूं और मोक्ष देता हूं। पर भगवान राम ने कहा - मैं इनमें से कुछ भी नहीं देता। - तो फिर आपके दर्शन में अनोखापन क्या है ? भगवान राम कहते हैं -
मम दरसन फल परम अनूपा।
जीव पाव निज सहज स्वरूपा।।
मेरे दर्शन से जीव को अपने स्वरूप का ज्ञान हो जाता है जिसे वह भूल चुका है। 🕉️

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