वाल्मीकि रामायण में, आज के ओबीसी (शूद्र ) सम्बूक का गला काट दिया जाता है, क्योकि उसे रामराज्य में तपस्या का हक़ नहीं है
और वो बताते है की हमारा भगवान किसी में भेदभाव नही करता, बात करते है सामाजिक समरसता की, बाबा बनके डोंग भरते है भोले भाले लोगो को बेवकूप बनाते है ।
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