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"लड़कर लेंगे पाकिस्तान, मरकर लेंगे पाकिस्तान !"

ओवैसी खानदान की सच्चाई आप सबको चौंका देगी !

कभी वो कहते हैं हमने 700 साल तक इस हिंदुस्तान पर हुकूमत की है... कभी वो कहते हैं कि 15 मिनट के लिए पुलिस हटा के देख लो तो कभी वो कहते हैं कि हम 15 करोड़ पर भारी पड़ेंगे... कभी वो भारत माता की जय बोलने से इंकार कर देते हैं तो कभी वो कहते हैं कि जिस लाल किले से प्रधानमंत्री तिरंगा फहराते हैं वो हमारा लाल किला है... हर दूसरे, तीसरे, चौथे दिन इनकी जुबान से ज़हर ही निकलता रहता है... आखिर इतना ज़हर इनके अंदर आया कहां से ?

हम बात कर रहे हैं औवेसी खानदान की... जिसके दो चश्मोचिराग आए दिन इस देश में जहरीले बीज बोते हैं... दरअसल जहर की खेती करने का ओवैसी खानदान का पुरान इतिहास है... आज हम इसी इतिहास और ओवैसी भाइयों के के DNA को बेनकाब करेंगे...

पिछले दिनों मुसलमानों के लिए ओवैसी ने कहा था कि - "हम यहां पर बराबर के शहरी हैं... किराएदार नहीं हैं, बल्कि हिस्‍सेदार हैं"... इस मुद्दे पर देश के बाकी मुसलमानों की बात बाद में करेंगे लेकिन जहां तक ओवैसी साहब की बात है वो इस देश में शर्तिया किरायेदार हैं... जी हां, 100 फीसदी किरायेदार...

इस देश के "किरायेदार" ओवैसी की इस कड़वी सच्चाई को जानने के लिए थोड़ा इतिहास के झरोखे में झांकना होगा... ये वो खिड़कियां हैं जिन्हे अक्सर आम हिंदुस्तानियों के लिए बंद ही रखा गया है... तो आइए इतिहास की खिड़की खोलते हैं और जानते हैं ओवैसी का "किरायेदार" वाला काला सच...

बात 1927 की है... हैदराबाद में निज़ाम की सलाह पर एक दल बनाया गया जिसका नाम रखा गया मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुसलमीन यानि MIM... ओवैसी इसी MIM की कोख से निकली AIMIM के अध्यक्ष हैं... खैर जानते हैं कि 1927 में इस MIM का मकसद क्या था... हैदराबाद रियासत का पूरी तरह से इस्लामीकरण करने के लिए कट्टरपंथी MIM का गठन हुआ था... जिन्ना की मुस्लिम लीग के साथ मिलकर MIM ने हैदराबाद में पाकिस्तान के विचार को इतना खाद-पानी दिया कि ये एक दिन ये आज़ाद भारत की सबसे बड़ी समस्या बन गया... ये तो हुई MIM की पाकिस्तान परस्त विचारधारा की बात लेकिन इसकी खूनी करतूतों की कहानी शुरु होती है 1944 में जब इस MIM की कमान कासिम रिज़वी के हाथों में आ गई...

एमआईएम की कमान लेते ही कासिम रिज़वी भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास में सबसे कट्टरपंथी खूनी नेता के तौर पर दर्ज हो गया... सबसे पहले उसने MIM में अपने रजाकारों को भरना शुरु किया... रजाकार यानि हथियारबंद मुसलमानों की वो सेना जो हैदराबाद को आज़ाद मुल्क बनाये रखने या फिर पाकिस्तान में मिलाये जाने के लिए हिंसा का सहारा लेती थी... रजाकार एक कट्टर इस्लामी समूह था और उसे यह गुमान था कि मुसलमान हिंदुओं पर हुकूमत करने के लिए बने हैं और इस देश में एक दिन इस्लामी शासन वापस आएगा... करीब डेढ़ लाख रजाकारों की सेना जिसमें ज्यादातर MIM के कार्यकर्ता थे इन्होने हैदराबाद रियासत में करीब दो लाख हिंदुओं की हत्या की... आपको जानकार आश्चर्य होगा कि जब बाकी का पूरा देश आज़ाद हो गया तब हैदराबाद रियासत में रहने वाले हिंदुओं को जजिया कर देना पड़ता था... जी हां मुगलिया दौर का ये जजिया कर 1947 के दौर में MIM के कार्यकर्ता हिंदुओ से वसूलते थे... इतना ही नहीं हैदराबा के इलाकों से गुजरने वाली ट्रेनो पर आए दिन हमला होता और हिंदू यात्रियों की हत्याये भी की जाती... और ये सब करते थे MIM के कार्यकर्ता... वही MIM जिसका नाम आज AIMIM है और इसके नेता हैं असद उद्दीन ओवैसी...

खैर, जब सरदार पटेल ने देखा कि MIM और रजाकारों के सरगना कासिम रिज़वी की वजह से हैदराबाद हाथ से निकल सकता है तो उन्होने सितंबर 1948 में हैदराबाद पर हमला बोल दिया और ऑपरेशन पोलो के तहत के रज़ाकारों की सेना महज 5 दिन में ढेर हो गई... इसके तत्काल बाद कासिम रिज़वी को गिरफ्तार कर लिया गया और उसी साल MIM पर प्रतिबंध लगा दिया गया... कासिम रिज़वी के "पाकिस्तानी सपने" और उसका घमंड एक झटके में फना हो गया... कासिम रिज़वी को अपने मुसलमान होने का कितना अभिमान था इसका उल्लेख एक किताब "October Coup – A Memoir of the Struggle for Hyderabad" में मिलता है... इस किताब के लेखक मोहम्मद हैदर ने लिखा है कि जब उन्होने कासिम रिज़वी से पूछा कि - "आखिर, ये कहां तक सही है कि हैदराबाद रियासत के 20 फीसदी मुसलमान बाकी 80 फीसदी हिंदुओं पर राज करें?" इस सवाल पर घमंडी कासिम रिज़वी ने कहा कि - “ हैदराबाद में हम मुसलमान भले ही सिर्फ बीस फीसदी हैं लेकिन हमारे निजाम ने यहां 200 साल राज किया है तो इसका एक ही मतलब है कि हम मुसलमान सिर्फ राज करने के लिए ही बने हैं और देखना एक दिन ऐसा भी आएगा, जब मुसलमान इस पूरे देश पर राज करेंगे”...