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✍️हे पवनसुत ! श्रीरामचंद्रजी ने आपकी बहुत प्रंशंसा की और कहा कि तुम मेरे भरत जैसे भाई हो।
तुलसीदासजी लिखते हैं कि हनुमानजी की प्रशंसा करते हुए भगवान कहते हैं कि ‘तुम मेरे भरत जैसे प्यारे भाई हो’ यानी ‘तुम मेरे हो यह भगवान अपने मुख से भक्त के लिये कहना यह भक्ति का अन्तिम फल है ।
✍️ दीपक शर्मा पारीक

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