'मुसलमान हिंसक होता है।'
'मुसलमान नफरत फैलाता है।'
'मुसलमान आतंकवाद फैलाता है।'

'ये मैंने अजमल कसाब के लिए कहा है, सभी मुसलमानों को नहीं कहा है।'

क्या राहुल गांधी ऐसा बयान संसद में दे सकते हैं ?

अगर नहीं तो पार्टी पर हमला करने की आड़ में "हिन्दू" को क्यों बीच में लाए राहुल गांधी।

(नोट : ऊपर की पंक्तियां उदाहरण के तौर पर प्रस्तुत की गई हैं। पाञ्चजन्य किसी पंथ-मजहब को हिंसा से जोड़ने का समर्थन नहीं करता है)