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गुजरात के अहमदाबाद में जन्मे और पले-बढ़े जगत किनखाबवाला ने फाइनेंस में एमबीए किया और फिर सालों तक कॉर्पोरेट कंपनियों के साथ काम किया। आज भी वे कॉर्पोरेट कंपनियों के लिए बतौर सीएसआर कंसलटेंट काम करते हैं। लेकिन उनकी इस पहचान से उनके जानने वाले लोग ही वाकिफ़ हैं। बाकी हर किसी के लिए वे ‘स्पैरो मैन’ हैं, जो खुद तो चिड़ियों के संरक्षण पर काम कर ही रहे हैं। साथ ही, उनके इस काम और शोध ने देश-दुनिया में और भी लोगों को उनसे जुड़ने के लिए प्रेरित

सरकार के इकोलॉजी विभाग ने राज्य में समाज के लिए, पर्यावरण के लिए अच्छा काम कर रहे कुछ लोगों को सम्मानित करने के लिए चुना था। उन्हीं में से एक नाम जगत का भी था।

प्रधानमंत्री ने अपने इस कार्यक्रम में पूरे देश को जगत के अमूल्य कार्यों के बारे में बताते हुए, उन्हें “स्पैरो मैन ऑफ़ इंडिया” के नाम से नवाज़ा। वहीं गुजराती भाषा में लोग उन्हें ‘चकली काका’ बुलाते हैं।

जगत द्वारा बचाई जाने वाली चिड़िया ही नहीं, बल्कि इन चिड़ियों के लिए जो घोंसले वे बनाते हैं, वे भी काफ़ी मशहूर हैं। वे किसी भी पुराने कार्टन या डिब्बे को उचित जगह से काटकर, इस तरह से तैयार करते हैं कि अगर उसे घर की दीवारों या फिर छत से भी लटकाया जाए तो चिड़िया आसानी से अपना घोंसला इसमें बना सकती है।

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